असंतुष्ट जीवन

असंतुष्ट जीवन वैसे तो इंसान की फितरत ही कुछ ऐसी होती है कि उसकी इच्छा सदैव "थोड़ा और - थोड़ा और" की रहती है अर्थात वह कभी भी संतुष्ट रह ही नहीं सकता है या संतुष्ट हो ही नहीं पाता है क्योंकि वह अपनी इच्छाओं को भी अपनी आवश्यकता ही समझता है और यही समझ उसके जीवन में मुख्य समस्या की जड़ है ------------------------ फिलहाल हम उन लोगों की बात करते हैं जो वास्तव में अपनी वास्तविक आवश्यकताओं के लिए भी लगभग जीवन भर संघर्षरत रहते हैं लेकिन कुछ खास नहीं कर पाते अर्थात असली वाला असंतुष्ट जीवन जीते हैं या जीने को बाध्य रहते हैं, निश्चित रूप से इसमें नियति की बड़ी भूमिका रहती है (एक तरफ कुछ लोग इस बात को मानते हैं तो वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग नहीं भी मानते हैं लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता) ------------------------ भारतीय ज्योतिषीय दृष्टिकोण से असंतुष्ट जीवन बहुत सारे कारणों से होता है लेकिन सभी की चर्चा यहाँ संभव नहीं है इसलिए कुछ मुख्य कारणों के माध्यम से इसको जानने और समझने का एक ईमानदार प्रयास करते हैं (निम्नलिखित को अंतिम फलादेश के रूप में बिलकुल भी ना लें या ना ही समझें यह कुछ संभावनाएं मात्र हैं) ------------------------ 1 . जन्म कुंडली में चन्द्रमा का द्वादश या द्वादशेष से सीधा सम्बन्ध अर्थात चन्द्रमा या तो द्वादश में या द्वादशेष के साथ हो 2 . जन्म कुंडली में चन्द्रमा का द्वादशेष के साथ राशि परिवर्तन की स्थिति 3 . जन्म कुंडली में चन्द्रमा पर द्वादशेष की पूरी एवं सीधी दृष्टि 4 . जन्म कुंडली में लग्नेश का द्वादश या द्वादशेष से सीधा सम्बन्ध अर्थात लग्नेश या तो द्वादश में या द्वादशेष के साथ हो 5 . जन्म कुंडली में लग्नेश का द्वादशेष के साथ राशि परिवर्तन की स्थिति 6 . जन्म कुंडली में लग्न या लग्नेश पर द्वादशेष की पूरी एवं सीधी दृष्टि 7 . जन्म कुंडली में लग्न में द्वादशेष की स्थिति 8 . उपरोक्त सातों में से ऐसी कोई भी स्थिति यदि नवमांश कुंडली में भी हो तो भी ------------------------ ऐसी स्थिति होने पर व्यक्ति को जीवन में संघर्ष अधिक करना पड़ता है लेकिन परिणाम स्वरुप प्राप्ति भी कम और देरी से होती है अर्थात परिश्रम या पुरुषार्थ का पूरा पूरा फल नहीं मिलता है, तो ऐसे में स्वाभाविक ही है कि व्यक्ति नकारात्मकता के चंगुल में फंस जाता है और फिर वह अपनी समस्याओं लिए कभी तो अपने भाग्य को दोष देता है तो कभी दूसरों को लेकिन भूल कर भी कभी नियति के बारे में नहीं सोचता है और अंततः वह सारा जीवन असंतुष्ट ही रहता है ------------------------ ऐसे व्यक्तियों को मेरा व्यक्तिगत परामर्श है कि जीवन में जहाँ तक हो सके नकारात्मकता से दूरी बनाने का ईमानदारी से प्रयास करें और विशेषकर अपनी वाणी पर सदैव संयम रखें साथ ही "मेरे साथ ही ऐसा क्यों है" अर्थात नियति को भी जानने का प्रयास करें ना कि चमत्कार के चक्कर में पड़ कर अपना आर्थिक नुक्सान कर बैठें ---------------------- एक बार मैं पुनः यह स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि उपरोक्त वर्णित परिणामों को अंतिम फलादेश ना जानें या ना समझें अर्थात यह केवल कुछ संभावनाएं मात्र हैं, स्पष्ट फलादेश के लिए अपनी कुंडली को समय रहते किसी शिक्षित, ज्ञानी, अनुभवी एवं विश्वसनीय ज्योतिषी से ही दिखाकर परामर्श प्राप्त करें क्योंकि इस सम्बन्ध में और अधिक स्पष्टता एवं परिणाम प्राप्ति के लिए पूरी कुंडली के सभी शेष ग्रहों की स्थिति, दशा एवं अन्तर्दशा, वर्तमान ग्रह गोचर और जन्मकालीन योगों को भी देखना आवश्यक होता है ------------------------ आज समाज में आत्मविश्वास बढ़े और अन्धविश्वास भागे इसी के सन्दर्भ में मैनें यह लेख अपने अभी तक के प्राप्त ज्योतिषीय ज्ञान, ज्योतिषीय शिक्षा, ज्योतिषीय अनुभव, सामाजिक अनुभव, एवं व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर लिखा है 🙏🌹🌹🙏 अग्रिम शुभकामनायें सुभाष वर्मा ज्योतिषाचार्य कुंडली, नामशास्त्री, रंगशास्त्री, अंकशास्त्री, वास्तुशास्त्री, मुहूर्त ------------------------------------------ केवल ज्योतिष - चमत्कार नहीं आत्मविश्वास बढ़ाएं - अन्धविश्वास भगाएं ----------------------------------------- www.AstroShakti.in [email protected] www.facebook.com/AstroShakti

Written & Posted By : Subhash Verma Astrologer
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