लग्नेश षष्टम में (कन्या में मंगल)

लग्नेश षष्टम में (कन्या में मंगल)

ज्योतिषीय कुंडली में "षष्टम भाव" को "त्रिक भाव" के नाम से जाना जाता है और शत्रु, ऋण, रोग, छोटी दुर्घटना एवं चोट, नौकरी, जीवन में संघर्ष, प्रतियोगिता में सफलता, मानसिक पीड़ा इत्यादि इसके कारक तत्व हैं और इस भाव के कारक ग्रह "शनि और मंगल" हैं, यहाँ यह स्मरण रहे कि शनि सेवा या नौकरी और न्याय के कारक हैं और मंगल पौरुष का कारक है,

जबकि ऐसा देखने में आता है कि इस भाव से सुख कम और दुःख अधिक ही मिलता है शायद इसीलिए इसको दुःख स्थान के नाम से भी जाना जाता है लेकिन अर्थ (धन) भाव के रूप में भी इसको जाना जाता है यह भी याद रखना चाहिए

ऐसे में यदि जन्म कुंडली में लग्नेश षष्टम भाव में चला जाय तो स्वाभाविक ही है कि सम्बंधित व्यक्ति के लिए उसका सामान्य जीवन भी बहुत ही कष्टकारी हो जाता है या रहता है या हो सकता है

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"मेष लग्न" की कुंडली में "लग्नेश मंगल" यदि "षष्टम भाव" अर्थात "कन्या राशि" में चला जाय तो क्या कुछ संभावनाएं बन सकती हैं यह जानने का एक ईमानदार प्रयास करते हैं इसलिए इसको ना तो बिलकुल भी अंतिम फलादेश या ना जानें :-

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1. ऐसे मंगल वाले व्यक्ति के जीवन में पौरुष में कमी का होना स्वाभाविक है क्योंकि बुध की राशि में और स्त्री राशि में यदि मंगल होगा तो ऐसा तो होगा ही

2. ऐसे व्यक्ति को जीवन में अकेले ही संघर्ष करना पड़ता है और ये अपनी जिम्मेदारियों से कभी मुक्त नहीं हो पाते हैं अर्थात जिम्मेदारियों का बोझा इनके ऊपर कुछ ज्यादा ही रहता है शायद धन की कमी भी इसका मुख्य कारण है

3. ऐसे व्यक्ति के जीवन में यात्रा और व्यय की सदैव अधिकता रहती है

4. ऐसे व्यक्ति जीवन में अत्यधिक संघर्ष के बाद ही कुछ प्राप्त कर पाते हैं और धन के मामलों में सदैव तंग ही देखे जाते हैं क्योंकि आर्थिक पक्ष कमज़ोर है अर्थात धन आने से पहले ही उसके खर्च का हिसाब तैयार रहता है

5. ऐसे व्यक्ति यदि क़र्ज़ के जाल में फंस गए तो निकलना लगभग मुश्किल हो जाता है अतः इनको क़र्ज़ लेने से सदैव बचना चाहिए

6. ऐसे व्यक्ति को जब परिश्रम का पूरा लाभ नहीं मिलता तो मानसिक भटकाव का शिकार होना स्वाभाविक है और फिर क़र्ज़ के जाल में फंसने की पूरी संभावना हो जाती है

7 . ऐसे व्यक्ति को चर्म रोग होने की पूरी सम्भावना रहती है

8 . ऐसे व्यक्ति को जीवन में शिक्षा में बाधा एवं विवाहित जीवन में बाधाओं (न्यूनतम सुख) का सामना भी करना पड़ सकता है

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एक बार मैं पुनः यह स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि उपरोक्त वर्णित परिणामों को अंतिम फलादेश ना जानें या ना समझें अर्थात यह केवल कुछ संभावनाएं मात्र हैं और अपनी समस्याओं के समाधान के लिए किसी चमत्कार की आशा को छोड़कर स्पष्ट फलादेश के लिए अपनी कुंडली को समय रहते किसी शिक्षित, ज्ञानी, अनुभवी एवं विश्वसनीय ज्योतिषी से ही दिखाकर परामर्श प्राप्त करें क्योंकि इस सम्बन्ध में और अधिक स्पष्टता एवं परिणाम प्राप्ति के लिए पूरी कुंडली के सभी शेष ग्रहों से "मंगल" का क्या सम्बन्ध है, को देखना भी आवश्यक होता है साथ ही वर्तमान दशा एवं अन्तर्दशा, वर्तमान ग्रह गोचर और जन्मकालीन योगों को भी देखना जरूरी होता है

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आज समाज में आत्मविश्वास बढ़े और अन्धविश्वास भागे इसी के सन्दर्भ में मैनें यह लेख अपने अभी तक के प्राप्त ज्योतिषीय ज्ञान, ज्योतिषीय शिक्षा, ज्योतिषीय अनुभव, सामाजिक अनुभव, एवं व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर लिखा है, लेकिन आप इसको किस रूप में लेते हैं यह पूर्णतया आपके बुद्धि एवं विवेक पर निर्भर करता है...!

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आप सभी को ढेरों शुभकामनाएं

सुभाष वर्मा ज्योतिषाचार्य

www.AstroShakti.in 

Written & Posted By : Subhash Verma Astrologer
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