ज्योतिष से नैसर्गिक जुड़ाव

ज्योतिष से नैसर्गिक जुड़ाव सामान्यतः ज्योतिष को लेकर सबके मन में कहीं ना कहीं एक जिज्ञासा जरूर रहती है लेकिन कुछ लोग सार्वजानिक रूप से या सार्वजानिक जीवन में इसको स्वीकार करते हैं तो कुछ नहीं करते हैं क्योंकि इसके लिए सबके अपने अपने कारण और तर्क होते हैं ------------------------ कोई इसके बारे में थोड़ा जानता है तो कोई थोड़ा ज्यादा जानता है, कुछ लोग इसकी विधिवत शिक्षा भी लेते हैं तो वहीं कुछ लोग इसमें महारथ हासिल कर लेते हैं लेकिन कुछ लोग इसको आजीविका का साधन भी बना लेते हैं, ऐसा क्यों और कैसे हो जाता है यह जानने का एक ईमानदार प्रयास करते हैं...! ------------------------ जन्म कुंडली का अष्टम भाव आध्यात्मिक, ज्योतिष, गुप्त विद्या, तंत्र-मंत्र, अनुसंधान, रहस्य का भी होता है और इस भाव का कारक ग्रह शनि होता है अर्थात ज्योतिष के लिए अष्टम भाव, अष्टमेष और शनि अनिवार्य प्राथमिकता है ------------------------ यदि द्वितीय भाव या द्वितीयेष का सम्बन्ध अष्टम या अष्टमेष के साथ हो जाता है तो व्यक्ति को ज्योतिष के बारे में थोड़ी बहुत जानकारी हो जाती है क्योंकि कुंडली का द्वितीय भाव वाणी के साथ साथ आरंभिक ज्ञान या शिक्षा का भी होता है ------------------------ यदि चतुर्थ भाव या चतुर्थेष का सम्बन्ध अष्टम या अष्टमेष के साथ हो जाता है तो व्यक्ति को ज्योतिष के बारे में अच्छी खासी जानकारी हो जाती है क्योंकि कुंडली का चतुर्थ भाव प्राथमिक शिक्षा या माध्यमिक शिक्षा का भी होता है ------------------------ यदि पंचम भाव या पंचमेश का सम्बन्ध अष्टम या अष्टमेष के साथ हो जाता है तो व्यक्ति को ज्योतिष के बारे में बहुत ही अच्छी जानकारी हो जाती है क्योंकि कुंडली का पंचम भाव उच्च शिक्षा का भी होता है ------------------------ उपरोक्त के परिपेक्ष में यदि बृहस्पति का भी सम्बन्ध हो जाता है तो व्यक्ति का स्वाभाविक झुकाव सात्विक ज्योतिष की तरफ ही रहता है क्योंकि बृहस्पति एक सात्विक ग्रह के साथ साथ शिक्षा एवं पंचम भाव का कारक भी है ------------------------ उपरोक्त के परिपेक्ष में यदि राहु या शुक्र का भी सम्बन्ध हो जाता है तो व्यक्ति का स्वाभाविक झुकाव तामसिक या तांत्रिक क्रियाओं की तरफ हो जाता है ------------------------ उपरोक्त के परिपेक्ष में यदि शनि का भी सम्बन्ध हो जाता है तो व्यक्ति ज्योतिष या आध्यात्म के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को भी छु सकता है ------------------------ उपरोक्त के परिपेक्ष में यदि लग्न या लग्नेश का सम्बन्ध भी हो जाता है तो व्यक्ति का स्वाभाविक झुकाव ज्योतिष या तांत्रिक क्रियाओं में होना निश्चित हो सकता है ------------------------ स्वाभाविक रूप से अष्टमेष के साथ द्वितीयेष या चतुर्थेष या पंचमेश की महादशा या अंतरदशा में उपरोक्त के सम्बन्ध में परिणाम तेजी से प्राप्त हो सकते हैं जो जानकारी के अभाव में जीवन में किसी चमत्कार से कम नहीं होते हैं ------------------------ आज समाज में आत्मविश्वास बढ़े और अन्धविश्वास भागे इसी के सन्दर्भ में मैनें यह लेख अपने अभी तक प्राप्त ज्योतिष ज्ञान, ज्योतिष शिक्षा, ज्योतिषीय अनुभव, सामाजिक अनुभव, एवं व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर लिखा है । इसलिए उपरोक्त पर सहमति या असहमति के लिए आप पूर्णतया स्वतंत्र हैं...! ------------------------ उपरोक्त के परिपेक्ष में और अधिक स्पष्टता के लिए आप किसी शिक्षित, ज्ञानी, अनुभवी एवं विश्वसनीय ज्योतिषी से समय रहते परामर्श प्राप्त कर निश्चित रूप से अधिक लाभान्वित हो सकते हैं...! 🙏🌹🌹🙏 अग्रिम शुभकामनायें ...! सुभाष वर्मा ज्योतिषाचार्य कुंडली, नामशास्त्री, रंगशास्त्री, अंकशास्त्री, वास्तुशास्त्री, मुहूर्त --------------------------------- केवल ज्योतिष - चमत्कार नहीं आत्मविश्वास बढ़ाएं - अन्धविश्वास भगाएं www.AstroShakti.in [email protected] www.facebook.com/AstroShakti

Written & Posted By : Subhash Verma Astrologer
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