राहु से सावधान

राहु से सावधान जी हाँ, राहु से सावधानी ज़रूरी है (डरना नहीं है) क्योंकि कोई भी इसके प्रभाव से या इससे बच नहीं सकता है । सर्वविदित है कि ज्योतिष में सभी नौ ग्रहों (सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु एवं केतू) में राहु को छाया ग्रह के रूप में माना एवं जाना जाता है, इसीलिए शायद इसको और केतु को छोड़कर सभी सातों ग्रहों के नाम पर हमारे सभी सात दिन निश्चित हैं इसी के साथ यह किसी भी राशि का स्वामी भी नहीं है और किसी भी भाव का कारक ग्रह भी नहीं है, अर्थात राहु ग्रह ज्योतिष जगत या क्षेत्र में अनेकों विरोधाभासों से भरा पड़ा है लेकिन इन सबके बावजूद इसकी शक्ति का आलम यह है कि 120 वर्ष की ज्योतिषीय महादशा में इसको 18 वर्ष की अवधी निर्धारित की गयी है इसके साथ ही यह अपने गोचर के समय एक राशि में 18 माह तक रहता है और विशेष बात यह है कि इसकी गति और दृष्टि सदैव वक्री ही रहती है और यह कभी भी सूर्य से अस्त नहीं होता है बल्कि सूर्य के ग्रहण का कारण भी बन जाता है...! ------------------------ भिन्न भिन्न ग्रहों के साथ राहु अनेकों योगों का निर्माण भी करता है जैसे : ग्रहणयोग, पूर्ण ग्रहणयोग,अंगारकयोग, जड़त्वयोग, चांडालयोग, लंपटयोग, धूर्त्तयोग इत्यादि यहाँ विशेष बात यह है कि इन योगों के नाम ही इसका चरित्र बताने के लिए पर्याप्त हैं ------------------------ राहु की दशा, राहु का गोचर, राहु से सम्बंधित प्रचलन में "कालसर्प योग" से आम लोग बहुत डरते हैं जबकि ऐसा कुछ भी नहीं है, क्योंकि जिस प्रकार सभी ग्रहों की अपनी कुछ ना कुछ विशेषता होती है उसी प्रकार इसकी भी कुछ विशेषता है जैसे यह किसी व्यक्ति को भ्रमित करके अपना काम निकालने में माहिर ग्रह माना जाता है ऐसे में स्वाभाविक है कि व्यक्ति कुछ ना कुछ अनैतिक या दुष्कर्म भी कर सकता है, बस यहीं पर "अतिरिक्त सावधान" रहने की जरूरत है...! ------------------------ जहाँ तक "काल सर्पयोग" की बात है तो शिक्षित ज्योतिषी या बहुत सारे ज्योतिषी इसको बिलकुल भी नहीं मानते हैं और इसको शेष ग्रहों की तरह ही देखते हैं जबकि बहुत सारे, विशेष रूप से पारम्परिक ज्योतिषी इसको पूर्णतया मानते हैं, इसलिए यह विरोधाभास का विषय भी है, मैं स्वयं व्यक्तिगत रूप से एवं एक शिक्षित ज्योतिषाचार्य के रूप में "काल सर्प योग" को स्वीकार नहीं करता हूँ या नहीं मानता हूँ इसलिए मेरे इस मत से किसी का भी सहमत होना या ना होना आवश्यक नहीं है अर्थात यह पूर्णतया उसके बौद्धिक स्तर पर निर्भर करता है...! ------------------------ किसी भी व्यक्ति के जीवन में मजबूत पुरुषार्थ, शत्रुओं को पराजित करने की क्षमता और धन प्राप्त करने की क्षमता का होना बहुत आवश्यक है अर्थात ज्योतिषीय दृष्टिकोण से जन्म कुंडली के तृतीय, षष्टम और एकादश भाव में राहु हो तो यह अपनी दशा, अन्तर्दशा एवं गोचर में अच्छे परिणाम दे सकने में सक्षम हो सकता है या होता है ------------------------ व्यक्तिगत सम्बन्ध, विवाहित जीवन, पारिवारिक जीवन, मानसिक शांति के लिए यह एक हानिकारक अर्थात घातक ग्रह है, वैसे भी यह नैसर्गिक पाप ग्रह एवं तामसिक गुण वाले ग्रहों की श्रेणी में आता है ------------------------ अंततः सभी जातकों से मेरा अनुरोध है कि आप समय रहते किसी शिक्षित, ज्ञानी, अनुभवी एवं विश्वसनीय ज्योतिषी से अपने राहु के बारे में अवश्य परामर्श प्राप्त करें, चाहे राहु कुंडली में शुभ हो या अशुभ और अपने कर्म, वास्तु एवं मुहूर्त के माध्यम से अपने जीवन में प्रतिकूलता में कमी और अनुकूलता में बृद्धि की संभावनाओं को बढ़ाएं...! ------------------------ आज समाज में आत्मविश्वास बढ़े और अन्धविश्वास भागे इसी के सन्दर्भ में मैनें यह लेख अपने प्राप्त ज्योतिष ज्ञान, ज्योतिष शिक्षा, ज्योतिषीय अनुभव, सामाजिक अनुभव, एवं व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर लिखा है...! 🙏🌹🌹🙏 अग्रिम शुभकामनायें ...! सुभाष वर्मा ज्योतिषाचार्य कुंडली, नामशास्त्री, रंगशास्त्री, अंकशास्त्री, वास्तुशास्त्री, मुहूर्त ---------------------------- केवल ज्योतिष - चमत्कार नहीं आत्मविश्वास बढ़ाएं - अन्धविश्वास भगाएं www.AstroShakti.in [email protected] www.facebook.com/AstroShakti

Written & Posted By : Subhash Verma Astrologer
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