लग्न में लग्नेश (सिंह में सूर्य)

लग्न में लग्नेश (सिंह में सूर्य) ज्योतिष में ऐसी मान्यता है कि लग्नेश सदैव शुभ फल ही देता है और यदि वह लग्न में ही बैठा हो तो क्या कहना अर्थात सोने पे सुहागा वाली कहावत चरितार्थ हो जाती है, लेकिन क्या ऐसा ही होता है या कितने प्रतिशत ऐसा हो पाता है...! जन्म कुंडली में सिंह लग्न में लग्नेश सूर्य यदि लग्न में ही बैठा हो तो क्या क्या हो सकता है या क्या क्या संभावनाएं हो सकती हैं (इसको बिलकुल भी अंतिम फलादेश ना समझें या ना जानें) यह जानने का प्रयास करते हैं :- ------------------------ 1. जन्म कुंडली में सिंह लग्न में लग्नेश के रूप में बैठा सूर्य सामान्यतः अच्छे एवं सुखद परिणाम ही देता है, विशेषकर अपनी महादशा, अन्तर्दशाओं और गोचर में, 2. सदैव स्मरण रहे कि लग्न भाव का कारक ग्रह केवल सूर्य ही होता है और ऐसे में जब कारक ही अपने घर में बैठा हो तो अच्छे परिणामों की सम्भावना का होना स्वाभाविक भी है 3. सिंह लग्न में बैठा सूर्य, स्वराशि का होते हुए भी केतु या चन्द्रमा या मंगल या बुध या बृहस्पति या शुक्र (नक्षत्रों में स्थिति के अनुसार) और शनि के अलावा राहु या केतु के प्रभाव में भी हो सकता है, 4. शनि या राहु या केतु का प्रत्यक्ष प्रभाव इसको (सूर्य को) प्रभावहीन बना देती है इसकी गति कभी वक्री नहीं होती और यह अपने गोचर काल में एक राशि में केवल तीस दिन अर्थात एक माह ही रहता है ------------------------ सिंह लग्न में बैठा सूर्य सम्बंधित व्यक्ति को प्रति वर्ष अपने गोचर के माध्यम से 120 दिन शुभ फल देने के लिए प्रतिवद्ध है, जिनका विवरण इस प्रकार है : - 15 अक्टूबर से 14 नवंबर (30 दिन) 15 जनवरी से 14 फ़रवरी (30 दिन) 15 मई से 14 जुलाई (60 दिन) # अतः इन 120 दिनों का पूरा पूरा लाभ उठायें और यदि आवश्यक लगे तो समय रहते किसी अनुभवी एवं विश्वसनीय ज्योतिषी से ही परामर्श अवश्य प्राप्त करें ------------------------ 1. जन्म कुंडली में सिंह लग्न में सूर्य यदि अकेला हो और मजबूत स्थिति में हो तो व्यक्ति आत्मविश्वास से भरा होता है जिसके परिणाम स्वरुप उसका जीवन वैभवशाली एवं प्रभावशाली होता है, 2. आत्मसम्मान की भूख सबसे ज्यादा इन्हीं लोगों में होती है, 3. प्रशासनिक दक्षता में इनका कोई मुकाबला नहीं कर सकता है, 4. मेरा सोच और मेरा निर्णय ही सही है, ऐसी मानसिकता से ये लोग भरे होते हैं जिस कारण इनके शत्रु या विरोधी भी बहुत सारे लोग होते हैं 5. हमेशा अपने को सही ठहराने की प्रवृत्ति अर्थात जिद्दी प्रवृत्ति के कारण बहुत से अच्छे लोग भी जो इनके लिए लाभकारी हो सकते हैं वो भी इनसे दूर हो जाते हैं 6. यहाँ तक की इनका विवाहित जीवन भी प्रभावित रहता है अर्थात विवाहित जीवन के सुखों में न्यूनता रहती है 7. लेकिन यदि सूर्य निर्बल (शनि या राहु या केतु के प्रभाव के कारण) हुआ तो व्यक्ति पूरे जीवन इससे सम्बंधित असाध्य बिमारी से पीड़ित हो सकता है विशेषकर आँख के सम्बन्ध में 8. विशेष बात यह है कि कुंडली में सूर्य पर शनि और राहु या केतु का प्रत्यक्ष प्रभाव व्यक्ति के मानसिक स्थिति, स्वयं का स्वास्थ एवं विवाहित जीवन या पारिवारिक जीवन के लिए किसी भी प्रकार से उत्तम नहीं हो सकता है ------------------------ 1. ज्योतिष के बालादि अवस्था के अनुसार सिंह राशि (जो एक विषम राशि है) में सूर्य 0 से 6 अंशों तक बाल अवस्था में, 18 से 24 अंशों तक वृद्ध अवस्था में और 24 से 30 अंशों तक मृत अवस्था में रहता है और इन अवस्थाओं में वह स्वाभाविक रूप से कोई भी लाभकारी परिणाम देने में अक्षम ही होगा...! 2. जबकि 06 से 12 अंशों तक किशोर अवस्था और 12 से 18 अंशों तक युवा अवस्था में रहने के कारण सूर्य अच्छे परिणाम देने में सक्षम होता है 3. लेकिन ज्योतिष के एक अन्य नियम के अनुसार स्वराशि (सिंह में) में होने के कारण यह सूर्य केवल 50% शुभ फल देने के लिए ही प्रतिबद्ध है, इसलिए यहाँ यह विरोधाभास का विषय भी है...! 4. उपरोक्त संभावित परिणामों में शनि, राहु और केतु की अहम भूमिका होगी क्योंकि यह तीनों ग्रह केवल प्रतिकूल परिणाम ही देंगें, तब जब वह कुंडली या गोचर में सूर्य को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करेंगें...! ------------------------ एक बार मैं पुनः यह स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि उपरोक्त वर्णित परिणामों को अंतिम फलादेश ना जानें या ना समझें अर्थात यह केवल कुछ संभावनाएं हैं, स्पष्ट फलादेश के लिए अपनी कुंडली को किसी शिक्षित, ज्ञानी, अनुभवी एवं विश्वसनीय ज्योतिषी से दिखाकर परामर्श प्राप्त करें ------------------------ 1. उपरोक्त विवरण से यह स्पष्ट होता है कि सिंह लग्न में अपनी ही राशि (सिंह) में लग्नेश के रूप में बैठा सूर्य जो प्रत्यक्ष रूप से शक्तिशाली एवं शुभ दिखता है वह भी सुखद परिणाम देने में ज्यादातर या कभी कभी पीछे क्यों रह जाता है 2. इसलिए लग्न में यदि लग्नेश भी बैठा हो तो भी ज्यादा खुश होने की जरुरत नहीं है और ना ही बिलकुल भी घबराने की बल्कि आवश्यकता है समय रहते किसी शिक्षित, ज्ञानी, अनुभवी एवं विश्वसनीय ज्योतिषी से अपने लग्नेश अर्थात सूर्य के बारे में अधिक से अधिक जानने और उसको समझने की चाहे वह कुंडली में किसी भी स्थिति में हो ...! ------------------------ आज समाज में आत्मविश्वास बढ़े और अन्धविश्वास भागे इसी के सन्दर्भ में मैनें यह लेख अपने प्राप्त ज्योतिष ज्ञान, ज्योतिष शिक्षा, ज्योतिषीय अनुभव, सामाजिक अनुभव, एवं व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर लिखा है...! 🙏🌹🌹🙏 अग्रिम शुभकामनायें ...! सुभाष वर्मा ज्योतिषाचार्य कुंडली, नामशास्त्री, रंगशास्त्री, अंकशास्त्री, वास्तुशास्त्री, मुहूर्त -------------------------------- केवल ज्योतिष - चमत्कार नहीं आत्मविश्वास बढ़ाएं - अन्धविश्वास भगाएं ----------------------------------- www.AstroShakti.in [email protected] www.facebook.com/AstroShakti

Written & Posted By : Subhash Verma Astrologer
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