लग्न में केतु एक तरफ केतु की पहचान पाप और अशुभ ग्रह अर्थात कष्ट कारक एवं शारीरिक कष्ट के कारक ग्रह के रूप में है तो दूसरी तरफ इसको मोक्ष का कारक भी माना जाता है इसीलिए यह द्वादश भाव के कारक के रूप में भी जाना जाता है रहस्यमयी बिमारी, ह्रदय रोग, भ्रम, बाधा, संताप, रहस्यमयी ज्ञान एवं विद्या इत्यादि का कारक भी इसको माना जाता है सभी नौ ग्रहों के परिवार का ये सबसे अंतिम अर्थात नवां ग्रह है और तामसिक प्रवृत्ति का यह ग्रह है कुछ लोग वृश्चिक राशि को तो कुछ लोग धनु राशि को इसकी उच्च की राशि मानते हैं और केतु ग्रह मंगल ग्रह के अनुरूप फल देता है ऐसी मान्यता है प्राप्त ज्ञान और अनुभव यह बताता है कि यह एक रहस्यमयी ग्रह है और इसके परिणाम भी कुछ ऐसे ही होते हैं कहने को तो यह छाया ग्रह है लेकिन विंशोत्तरी महादशा में सात वर्ष इसके लिए निर्धारित हैं केतु के प्रभाव से कोई भी बच नहीं सकता है अर्थात इसकी महादशा, अन्तर्दशा, गोचर में इसका स्पष्ट प्रभाव देखा जा सकता है ऐसे में यदि जन्म कुंडली या लग्न कुंडली में लग्न में ही केतु बैठा हो तो क्या क्या संभावनाएं बन सकती हैं यह जानने और समझने का प्रयास करते हैं :- (लग्न में बैठे केतु का यह एक सामान्य विश्लेषण है या संभावनाएं हैं अतः इसको अंतिम फलादेश बिलकुल ना समझें) ------------------------ (1) मेष लग्न में यदि केतु लग्न में बैठा हो तो व्यक्ति के अंदर पद-प्रतिष्ठा प्राप्ति एवं वैभवशाली जीवन की प्रबल इच्छा रहती है, जीवन में गतिशीलता रहती है, आत्मविश्वास से परिपूर्ण ऐसा व्यक्ति जीवन में यश प्राप्त करता है (2) वृषभ लग्न में यदि केतु लग्न में बैठा हो तो व्यक्ति अत्यधिक महत्वाकांक्षी होगा और इसकी प्राप्ति के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार रहता है (3) मिथुन लग्न में यदि केतु लग्न में बैठा हो तो व्यक्ति मानसिक रूप से मजबूत होता है इसलिए जीवन में तरक्की जरूर पाता है लेकिन देर लग सकती है (4) कर्क लग्न में यदि केतु लग्न में बैठा हो तो व्यक्ति मानसिक अस्थिरता का शिकार हो सकता है इसलिए उसके विवाहित जीवन में समस्याएं हो सकती हैं (5) सिंह लग्न में यदि केतु लग्न में बैठा हो तो व्यक्ति का व्यक्तित्व प्रभावशाली होगा लेकिन फिर भी जीवन में असंतोष बना रहेगा (6) कन्या लग्न में यदि केतु लग्न में बैठा हो तो व्यक्ति के अंदर शारीरिक कमजोरी रहेगी और हो सकता है कोई नियमित बिमारी इसका कारण हो (7) तुला लग्न में यदि केतु लग्न में बैठा हो तो व्यक्ति प्रगतिशील मानसिकता एवं कार्यशैली के कारण जीवन में कामयाब होता है (8) वृश्चिक लग्न में यदि केतु लग्न में बैठा हो तो व्यक्ति अपना भाग्य खुद बनाता है अर्थात कर्मठ एवं पुरुषार्थी व्यक्तित्व (9) धनु लग्न में यदि केतु लग्न में बैठा हो तो व्यक्ति के अंदर घमंड या अहम् की अधिकता रहती जिसके कारण यह अपना नुक्सान स्वयं कर लेता है (10) मकर लग्न में यदि केतु लग्न में बैठा हो तो व्यक्ति अड़ियल एवं अत्यधिक महत्वाकांक्षी प्रवृत्ति से ग्रसित रहता है लेकिन अंततः तरक्की जरूर होती है (11) कुम्भ लग्न में यदि केतु लग्न में बैठा हो तो व्यक्ति अत्यधिक कठोर परिश्रम से सफलता प्राप्त करता है (12) मीन लग्न में यदि केतु लग्न में बैठा हो तो व्यक्ति के जीवन में बाधाओं एवं समस्याओं की अधिकता ही रहती है अर्थात अत्यधिक संघर्षपूर्ण जीवन होता है ------------------------ # यह जन्मकालीन कुंडली में लग्न में बैठे केतु का एक सामान्य विश्लेषण है या संभावनाएं हैं अतः इसको अंतिम फलादेश ना समझें क्योंकि केतु का अन्य ग्रहों के साथ सम्बन्ध और उसका गोचर भी बहुत माने रखता है # मैं आपको यहाँ यह भी बताना चाहता हूँ कि आपको अपने केतु से डरने की बिलकुल भी जरुरत नहीं है बल्कि जरुरत है उसको अच्छे से जानने एवं समझने की ------------------------ अंततः सभी जातकों से मेरा अनुरोध है कि आप समय रहते किसी शिक्षित, ज्ञानी, अनुभवी एवं विश्वसनीय ज्योतिषी से अपने केतु के बारे में अवश्य परामर्श प्राप्त करें, चाहे केतु आपकी कुंडली में शुभ हो या अशुभ और अपने कर्म, वास्तु एवं मुहूर्त के माध्यम से अपने जीवन में प्रतिकूलता में कमी और अनुकूलता में बृद्धि की संभावनाओं को बढ़ाएं ------------------------ आज समाज में आत्मविश्वास बढ़े और अन्धविश्वास भागे इसी के सन्दर्भ में मैनें यह लेख अपने प्राप्त ज्योतिष ज्ञान, ज्योतिष शिक्षा, ज्योतिषीय अनुभव, सामाजिक अनुभव, एवं व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर लिखा है 🙏🌹🌹🙏 अग्रिम शुभकामनायें सुभाष वर्मा ज्योतिषाचार्य कुंडली, नामशास्त्री, रंगशास्त्री, अंकशास्त्री, वास्तुशास्त्री, मुहूर्त --------------------------------- केवल ज्योतिष - चमत्कार नहीं आत्मविश्वास बढ़ाएं - अन्धविश्वास भगाएं www.AstroShakti.in [email protected] www.facebook.com/AstroShakti