लग्नेश द्वादश में (तुला / शुक्र)

लग्नेश द्वादश में (तुला / शुक्र) ज्योतिषीय कुंडली में द्वादश भाव व्यय भाव के नाम से जाना जाता है अर्थात मृत्यु, मोक्ष, ज्यादा व्यय, बड़ी शारीरिक एवं आर्थिक हानि, असाध्य रोग या पीड़ा, हॉस्पिटल का आईसीयू, बदनामी या लांछन, जेल एवं विदेश यात्रा इसके कारक तत्व हैं अर्थात अत्यधिक भय, व्यय या क्षय, चौतरफा हानि, मृत्यु और मोक्ष के रूप में इस भाव को जाना जाता है या इसकी पहचान है ------------------------ ऐसे में यदि जन्म कुंडली में लग्नेश द्वादश भाव में चला जाय तो सम्बंधित व्यक्ति के लिए सामान्यतः उसका सामान्य जीवन भी बहुत ही कष्टकारी हो जाता है या रहता है "तुला लग्न" की कुंडली में "लग्नेश शुक्र" यदि द्वादश भाव अर्थात कन्या राशि में चला जाय तो क्या क्या हो सकता है या क्या क्या संभावनाएं बनती हैं यह जानने का एक ईमानदार प्रयास करते हैं :- (इसको बिलकुल भी अंतिम फलादेश ना समझें या ना जानें) ------------------------ 1. ज्योतिषीय दृष्टिकोण से ऐसे व्यक्ति को जीवन में अत्यधिक संघर्ष करना पड़ता है अर्थात परिश्रम ज्यादा और प्राप्ति कम की सम्भावना बनी रहती है अर्थात उतार चढ़ाव वाला जीवन 2. विशेष कर गुप्त रोग एवं गुप्त शत्रु से पीछा छुड़ाना मुश्किल हो सकता है 3. व्यक्ति, आत्मविश्वास में कमी और नकारात्मकता का शिकार होने के कारण व्यवहार का रूखा हो सकता है 4. भ्रमपूर्ण, संघर्षपूर्ण एवं अतिव्यय या अनावश्यक व्यय एवं अनावश्यक यात्रा वाला जीवन हो सकता है 5. कभी कभी अपने पुरुषार्थ पर भी शक हो सकता है शायद अत्यधिक भोगी प्रवृत्ति या नकारात्मकता के कारण 6. विवाह एवं विवाहित जीवन में बाधाओं का सामना भी करना पड़ सकता है अर्थात विवाहित जीवन के सुखों में अधिक न्यूनता 7. धन सम्बन्धी समस्या हो सकती है 8. अधिकांशतः पक्ष में दिखने वाले लोग या साथी लोग विरोधी भी हो सकते हैं जिसके परिणाम स्वरुप पारिवारिक सुखों में आभाव हो सकता है या होता है 9. अनावश्यक भय या बदनामी का डर इत्यादि दिमाग में समाया रह सकता है अर्थात मानसिक अस्थिरता की संभावना बनी रहती है 10. मंगल या राहु का ऐसे शुक्र पर प्रत्यक्ष प्रभाव अनेकों समस्याएं भी पैदा कर सकता है 11. कर्ज के जाल में एक बार फंस गए तो निकलना मुश्किल होगा ------------------------ उपरोक्त संभावित परिणामों में मंगल, राहु और केतु की अहम भूमिका होगी क्योंकि यह तीनों ग्रह केवल प्रतिकूल परिणाम ही देंगें, तब जब वह कुंडली या गोचर में शुक्र को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करेंगें ------------------------ एक बार मैं पुनः यह स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि उपरोक्त वर्णित परिणामों को अंतिम फलादेश ना जानें या ना समझें अर्थात यह केवल कुछ संभावनाएं मात्र हैं और अपनी समस्याओं के समाधान के लिए किसी चमत्कार की आशा को छोड़कर स्पष्ट फलादेश के लिए अपनी कुंडली को समय रहते किसी शिक्षित, ज्ञानी, अनुभवी एवं विश्वसनीय ज्योतिषी से ही दिखाकर परामर्श प्राप्त करें क्योंकि इस सम्बन्ध में अर्थात शुक्र से सम्बंधित और अधिक स्पष्टता एवं परिणाम प्राप्ति के लिए पूरी कुंडली के सभी शेष ग्रहों से शुक्र का क्या सम्बन्ध है को देखना भी आवश्यक होता है साथ ही वर्तमान दशा एवं अन्तर्दशा, वर्तमान ग्रह गोचर और जन्मकालीन योगों को भी देखना आवश्यक होता है ------------------------ आज समाज में आत्मविश्वास बढ़े और अन्धविश्वास भागे इसी के सन्दर्भ में मैनें यह लेख अपने अभी तक के प्राप्त ज्योतिषीय ज्ञान, ज्योतिषीय शिक्षा, ज्योतिषीय अनुभव, सामाजिक अनुभव, एवं व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर लिखा है 🙏🌹🌹🙏 अग्रिम शुभकामनायें सुभाष वर्मा ज्योतिषाचार्य कुंडली, नामशास्त्री, रंगशास्त्री, अंकशास्त्री, वास्तुशास्त्री, मुहूर्त -------------------------------- केवल ज्योतिष - चमत्कार नहीं आत्मविश्वास बढ़ाएं - अन्धविश्वास भगाएं www.AstroShakti.in [email protected] www.facebook.com/AstroShakti

Written & Posted By : Subhash Verma Astrologer
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