लग्नेश अष्टम में (वृश्चिक में मंगल)

लग्नेश अष्टम में (वृश्चिक में मंगल)

ज्योतिषीय कुंडली में "अष्टम भाव" को "आयु या रहस्य भाव" के नाम से जाना जाता है और ज्योतिष, तंत्र-मंत्र, आयु, मोक्ष, रहस्यमयी शिक्षा, गुप्त सम्बन्ध एवं बीमारी, आध्यात्मिकता, गुप्त धन, ससुराल, जुआ-सट्टा, बाधा आदि इस भाव के कारक तत्व हैं और ग्रहों में "शनि" इसके कारक हैं, यहाँ यह स्मरण रहे कि शनि ग्रह सेवा, नौकरी, शोध, न्याय के साथ-साथ आयु अर्थात मृत्यु के भी कारक हैं...

ऐसा देखने में आता है कि इस भाव से सुख कम और दुःख अधिक ही मिलता है अर्थात लाभ कम और हानि ज्यादा की प्राप्ति शायद इसीलिए इसको रहस्यमयी भाव या स्थान के नाम से भी जाना जाता है तात्पर्य कभी भी कुछ भी हो सकता है....

ऐसे में यदि जन्म कुंडली में लग्नेश "अष्टम भाव" में चला जाय तो स्वाभाविक ही है कि सम्बंधित व्यक्ति के लिए उसका सामान्य जीवन भी बहुत ही कष्टकारी हो जाता है या रहता है या हो सकता है

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"मेष लग्न" की कुंडली में "लग्नेश मंगल" यदि "अष्टम भाव" अर्थात "वृश्चिक राशि" में चला जाय तो क्या कुछ संभावनाएं बन सकती हैं यह जानने का एक ईमानदार प्रयास करते हैं इसलिए इसको ना तो बिलकुल भी अंतिम फलादेश मानें या जानें :-

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1. ऐसे मंगल वाले व्यक्ति रोगों की अधिकता से पीड़ित हो सकते हैं विशेषकर दूसरों को ना बताने लायक रोग अर्थात गुप्त रोग

2. ऐसे व्यक्ति को जीवन में अकेले ही संघर्ष करना पड़ता है और ये अपनी जिम्मेदारियों से कभी मुक्त नहीं हो पाते हैं अर्थात ज्यादा दुःख और कम सुख

4. ऐसे व्यक्ति साहसी और परिश्रमी होता है

5. ऐसे व्यक्ति वाणी से कठोर होते हैं लेकिन प्रसिद्धि भी प्राप्त कर सकते हैं

6. ऐसे व्यक्ति को जीवन में अपने बूते ही कुछ हासिल हो पाता है

7. ऐसे व्यक्ति हर हाल में अपनों का भला करने का ही प्रयास करते रहते हैं

8. ऐसे व्यक्ति को जीवन में शिक्षा में बाधा एवं विवाहित जीवन में बाधाओं (न्यूनतम सुख) का सामना भी करना पड़ सकता है

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एक बार मैं पुनः यह स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि उपरोक्त वर्णित परिणामों को अंतिम फलादेश ना जानें या ना समझें अर्थात यह केवल कुछ संभावनाएं मात्र हैं और अपनी समस्याओं के समाधान के लिए किसी चमत्कार की आशा को छोड़कर स्पष्ट फलादेश के लिए अपनी कुंडली को समय रहते किसी शिक्षित, ज्ञानी, अनुभवी एवं विश्वसनीय ज्योतिषी से ही दिखाकर परामर्श प्राप्त करें क्योंकि इस सम्बन्ध में और अधिक स्पष्टता एवं परिणाम प्राप्ति के लिए पूरी कुंडली के सभी शेष ग्रहों से "मंगल" का क्या सम्बन्ध है, को देखना भी आवश्यक होता है साथ ही वर्तमान दशा एवं अन्तर्दशा, वर्तमान ग्रह गोचर और जन्मकालीन योगों को भी देखना जरूरी होता है

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आज समाज में आत्मविश्वास बढ़े और अन्धविश्वास भागे इसी के सन्दर्भ में मैनें यह लेख अपने अभी तक के प्राप्त ज्योतिषीय ज्ञान, ज्योतिषीय शिक्षा, ज्योतिषीय अनुभव, सामाजिक अनुभव, एवं व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर लिखा है, लेकिन आप इसको किस रूप में लेते हैं यह पूर्णतया आपके बुद्धि एवं विवेक पर निर्भर करता है...!

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आप सभी को ढेरों शुभकामनाएं

सुभाष वर्मा ज्योतिषाचार्य

www.AstroShakti.in

Written & Posted By : Subhash Verma Astrologer
Dated :

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