शनि से सावधान

शनि से सावधान जी हाँ, शनि से सावधानी ज़रूरी है क्योंकि कोई भी इससे बच नहीं सकता है । ज्योतिष में इसको सभी नौ ग्रहों (सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु एवं केतू) में न्यायाधीश के रूप में माना एवं जाना जाता है । सर्वविदित है कि न्याय मिलने में हमेशा बिलंभ होता है और बाधाएं भी आती हैं अर्थात शनि जीवन में बिलम्भ और बाधा के कारक (कारण) भी हैं...! ------------------------ जन्म कुंडली (लग्न कुंडली या चंद्र कुंडली) में शनि किसी भी भाव में स्थित हों आप इनके प्रभाव से बच नहीं सकते (अपवाद स्वरुप कुंडली के छठें भाव को छोड़ कर) । अनुभव यह कहता है कि कुंडली के लग्न या पहले भाव, चौथे भाव, पांचवें भाव, सातवें भाव और दशवें भाव में स्थित शनि वाले व्यक्ति के जीवन में समस्याएं ज्यादा होती हैं । सभी नौ ग्रहों में इनकी गति भी सबसे धीमी है...! ------------------------ परिणाम स्वरुप ये कुंडली के किसी भी एक भाव में लगभग 30 महीने या ढ़ाई साल रहते हैं इसके साथ ही 19 वर्ष की इनकी ज्योतिषीय दशा भी होती है । इसलिए इनके प्रभाव में आया व्यक्ति सामान्यतः लम्बे समय तक पीड़ित रहता है । शनि की साढ़े साती (7.5 वर्ष) और ढैय्या (2.5वर्ष) के नाम से सभी परचित हैं । इसलिए कहा जाता है कि शनि के सुखद परिणाम जीवन में लम्बे समय के बाद ही मिलते हैं और दुखद परिणाम लम्बे समय तक रहते हैं...! ------------------------ शनि की महादशा एवं अन्तर्दशा, शनि की साढ़े साती, शनि की ढैय्या, शनि का लग्न या लग्नेश को प्रभावित करने वाला गोचर इत्यादि कुछ ऐसा काल या समय होता है जब प्रभावित व्यक्ति जीवन में सामान्यतः अधिक कष्ट अनुभव करता है और इससे मुक्ति के लिए वह तरह तरह के उपायों के चक्कर में पड़ जाता है लेकिन कोई सफलता नहीं मिलती है, क्योंकि ऐसे काल में सम्बंधित व्यक्ति को कम से कम अपने विचार, अपने मन, अपने कर्म, अपनी वाणी से शुद्ध और सात्विक होना चाहिए लेकिन दुर्भाग्यवश कोई भी (कुछ लोग अपवाद हो सकते हैं ) इस तरफ बिलकुल भी ध्यान नहीं देते हैं, क्योंकि उनको अपने कर्मों से अधिक अपने उपायों पर भरोसा होता है बेशक बाद में यह भ्रम भी टूट जाता है लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होती है, लोग यह भूल जाते हैं कि यह सभी नौ ग्रहों के न्यायाधीश शनि का काल है जो केवल दंड अर्थात न्याय देने के लिए ही अधिकृत हैं...! ------------------------ अधिक स्पष्टता के लिए आप ऐसे समझें कि शनि एक बार तो आपके पिछले पापों को क्षमा कर सकते हैं लेकिन यदि उनके काल में भी यदि कोई व्यक्ति अनैतिक काम, अधर्म, कुकर्म, पाप करेगा तो वह उसको कैसे और क्यों छोड़ देंगें, और यही कारण है कि आज शनि से प्रभावित (अर्थात शनि काल में) व्यक्ति अधिक से अधिक दुखी रहता है चाहे वह कितने भी उपाय क्यों ना कर ले...! मेरा व्यक्तिगत मानना है और प्राप्त ज्ञान एवं अनुभव कहता है कि शनि को उसके दंड से बचने के लिए विभिन्न प्रकार के उपाय नहीं बल्कि आपके अच्छे और सात्विक कर्म चाहिए या पसंद है...! इस बात से आपका सहमत होना कोई आवश्यक नहीं है क्योंकि यह पूर्णतया आपके बौद्धिक स्तर पर निर्भर करता है या उसका विषय है...! ------------------------ सभी जातकों से मेरा अनुरोध है कि जब भी जीवन में प्रतिकूलता लम्बे समय से चल रही हो तो आप समय रहते किसी शिक्षित, ज्ञानी, अनुभवी एवं विश्वसनीय ज्योतिषी से अवश्य परामर्श प्राप्त करें और अपने कर्म, वास्तु एवं मुहूर्त के माध्यम से अपने जीवन में प्रतिकूलता में कमी और अनुकूलता में बृद्धि की संभावनाओं को बढ़ाएं...! ------------------------ आज समाज में आत्मविश्वास बढ़े और अन्धविश्वास भागे इसी के सन्दर्भ में मैनें यह लेख अपने प्राप्त ज्योतिष ज्ञान, ज्योतिष शिक्षा, ज्योतिषीय अनुभव, सामाजिक अनुभव, एवं व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर लिखा है...! 🙏🌹🌹🙏 अग्रिम शुभकामनायें ...! सुभाष वर्मा ज्योतिषाचार्य कुंडली, नामशास्त्री, रंगशास्त्री, अंकशास्त्री, वास्तुशास्त्री, मुहूर्त ----------------------------- केवल ज्योतिष - चमत्कार नहीं आत्मविश्वास बढ़ाएं - अन्धविश्वास भगाएं www.facebook.com/AstroShakti [email protected] www.AstroShakti.in

Written & Posted By : Subhash Verma Astrologer
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